यादों की मैं बारात लिए आया हूँ By Rubaai << इस्मत पे तिरी निसार होना ... उड़ता हुआ बादल कहीं हाथ आ... >> यादों की मैं बारात लिए आया हूँ और अश्कों की सौग़ात लिए आया हूँ दुनिया कै मसाइल से गुज़र कर तुम तक उम्मीद-ए-मुलाक़ात लिए आया हूँ Share on: