ये क़ौल किसी बुज़ुर्ग का सच्चा है Admin सच्चाई शायरी फेसबुक, Rubaai << अब दुश्मन-ए-जाँ ही कुल्फ़... ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए ह... >> ये क़ौल किसी बुज़ुर्ग का सच्चा है डाली से जुदा न हो तो फल कच्चा है छोड़ी नहीं जिस ने हुब्ब-ए-दुनिया दिल से गो रीश सफ़ेद हो मगर बच्चा है Share on: