ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए हम से Admin मोर पंख शायरी, Rubaai << ये क़ौल किसी बुज़ुर्ग का ... या-रब कोई नक़्श-ए-मुद्दआ ... >> ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए हम से आदम है मुराद हस्ती-ए-आलम से हम अस्ल हैं और ये हमारा साया आलम का वजूद है हमारे दम से Share on: