दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो Admin Sad << रोशनी बिना दिए का मतलब ही... मेरी फितरत में नहीं अपना ... >> दिए हैं ज़ख़्म तो मरहम का तकल्लुफ न करो कुछ तो रहने दो, मेरी ज़ात पे एहसान अपना!This is a great तकल्लुफ शायरी. Share on: