हाथों की लकीरों पर मत जा ऐ ग़ालिब Admin ग़ालिब शायरी, Sad << कहाँ तक सुनेगी रात कहाँ त... बंद मुट्ठी से जो उड़ जाती ... >> हाथों की लकीरों पर मत जा ऐ ग़ालिबनसीब उन के भी होते हैं जिन के हाथ नहीं होते।This is a great लकीरें शायरी. True lovers of shayari will love this लकीर शायरी. Share on: