उसी तरह से हर इक ज़ख़्म खुशनुमा देखे Admin खुश रहे शायरी, Sad << मैं समझता था कि लौट आते ह... कुदरत के इन हसीन नज़ारों क... >> उसी तरह से हर इक ज़ख़्म खुशनुमा देखेवो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखेगुज़र गए हैं बहुत दिन रिफ़ाक़त-ए-शब मेंइक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे।This is a great शायरी मौसम पर. Share on: