दिलों की बंद खिड़की खोलना अब जुर्म जैसा है Admin महफिल शायरी Fb, Sad << तुम्हारे चाँद से चेहरे पे... मुझ से ऐ आईने मेरी बेकरार... >> दिलों की बंद खिड़की खोलना अब जुर्म जैसा हैभरी महफिल में सच बोलना अब जुर्म जैसा हैहर ज्यादती को सहन कर लो चुपचापशहर में इस तरह से चीखना जुर्म जैसा है।This is a great खिड़की पर शायरी. True lovers of shayari will love this जुर्म पर शायरी. Share on: