आ दोस्त साथ आ दर-ए-माज़ी से माँग लाएँ By Sher << चार बोसे तो दिया कीजिए तन... हमारी तरह ख़राब-ए-सफ़र न ... >> आ दोस्त साथ आ दर-ए-माज़ी से माँग लाएँ वो अपनी ज़िंदगी कि जवाँ भी हसीं भी थी Share on: