आ कर तिरी गली में क़दम-बोसी के लिए By Sher << न मिट सका न मिटेगा कभी नि... पहले वक़्तों में हो तो हो... >> आ कर तिरी गली में क़दम-बोसी के लिए फिर आसमाँ की भूल गया राह आफ़्ताब Share on: