आ के अब जंगल में ये उक़्दा खुला By Sher << देखूँ तिरे हाथों को तो लग... बोले कोई हँस कर तो छिड़क ... >> आ के अब जंगल में ये उक़्दा खुला भेड़ीए पढ़ते नहीं हैं फ़ल्सफ़ा Share on: