देखूँ तिरे हाथों को तो लगता है तिरे हाथ By Sher << इश्क़ था और अक़ीदत से मिल... आ के अब जंगल में ये उक़्द... >> देखूँ तिरे हाथों को तो लगता है तिरे हाथ मंदिर में फ़क़त दीप जलाने के लिए हैं Share on: