आए कभी तो दश्त से वो शहर की तरफ़ By Sher << ज़रा हटे तो वो मेहवर से ट... चमन का हुस्न समझ कर समेट ... >> आए कभी तो दश्त से वो शहर की तरफ़ मजनूँ के पाँव में जो न ज़ंजीर-ए-जादा हो Share on: