ज़रा हटे तो वो मेहवर से टूट कर ही रहे By हवा, Sher << उस का तो एक लफ़्ज़ भी हम ... आए कभी तो दश्त से वो शहर ... >> ज़रा हटे तो वो मेहवर से टूट कर ही रहे हवा ने नोचा उन्हें यूँ कि बस बिखर ही रहे Share on: