आबाद बस्तियाँ थीं फ़सीलों के साए में By Sher << हमारी ज़िंदगी तो मुख़्तसर... एक ही मैदान में लेटे हैं ... >> आबाद बस्तियाँ थीं फ़सीलों के साए में आपस में बस्तियों को मिलाता हुआ हिसार Share on: