आधी से ज़ियादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ By Sher << अहद-ए-मीसाक़ का लाज़िम है... ये बादल ग़म के मौसम के जो... >> आधी से ज़ियादा शब-ए-ग़म काट चुका हूँ अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है Share on: