ये बादल ग़म के मौसम के जो छट जाते तो अच्छा था By Sher << आधी से ज़ियादा शब-ए-ग़म क... कुछ इस तरह से कहा मुझ से ... >> ये बादल ग़म के मौसम के जो छट जाते तो अच्छा था ये फैलाए हुए मंज़र सिमट जाते तो अच्छा था Share on: