आदमी को ग़फ़लत-ए-दुनिया नहीं देती नजात By Sher << मिरे सेहन पर खुला आसमान र... दिल में तुम हो न जलाओ मिर... >> आदमी को ग़फ़लत-ए-दुनिया नहीं देती नजात सुब्ह जो चौंका हुआ मसरूफ़ इसी सामान में Share on: