मिरे सेहन पर खुला आसमान रहे कि मैं By Sher << दिल लिया है तो ख़ुदा के ल... आदमी को ग़फ़लत-ए-दुनिया न... >> मिरे सेहन पर खुला आसमान रहे कि मैं उसे धूप छाँव में बाँटना नहीं चाहता Share on: