आफ़ताब-ए-गर्म से दस्त-ओ-गरेबाँ हो गए By Sher << जब मैं उस के गाँव से बाहर... झुकाना सीखना पड़ता है सर ... >> आफ़ताब-ए-गर्म से दस्त-ओ-गरेबाँ हो गए धूप की शिद्दत से साए जब परेशाँ हो गए Share on: