आईना कैसा था वो शाम-ए-शकेबाई का By Sher << ये तो वक़्त वक़्त की बात ... गुलशन की फ़क़त फूलों से न... >> आईना कैसा था वो शाम-ए-शकेबाई का सामना कर न सका अपनी ही बीनाई का Share on: