गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है By Sher << आईना कैसा था वो शाम-ए-शके... बचा लिया मुझे तूफ़ाँ की म... >> गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है जीने के लिए इस दुनिया में ग़म की भी ज़रूरत होती है Share on: