आज पैवंद की ज़रूरत है By Sher << ज़ख़्म गिनता हूँ शब-ए-हिज... हम इश्क़ के बंदे हैं मज़ह... >> आज पैवंद की ज़रूरत है ये सज़ा है रफ़ू न करने की Share on: