आज तक कोई न अरमान हमारा निकला By Sher << अगर वो आज रात हद्द-ए-इल्त... सैंकड़ों दिलकश बहारें थीं... >> आज तक कोई न अरमान हमारा निकला क्या करे कोई तुम्हारा रुख़-ए-ज़ेबा ले कर Share on: