आज तक याद है वो शाम-ए-जुदाई का समाँ By Sher << हज़ार मंज़िल-ए-ग़म से गुज... हसरतें आ आ के जम्अ हो रही... >> आज तक याद है वो शाम-ए-जुदाई का समाँ तेरी आवाज़ की लर्ज़िश तिरे लहजे की थकन Share on: