आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो देखेंगे हुस्न-ए-यार By Sher << दोज़ख़ ओ जन्नत हैं अब मेर... मिरी नज़र में गए मौसमों क... >> आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो देखेंगे हुस्न-ए-यार कब तक नक़ाब रुख़ से उठाई न जाएगी Share on: