दोज़ख़ ओ जन्नत हैं अब मेरी नज़र के सामने By Sher << ख़ुद ही चराग़ अब अपनी लौ ... आँखें ख़ुदा ने दी हैं तो ... >> दोज़ख़ ओ जन्नत हैं अब मेरी नज़र के सामने घर रक़ीबों ने बनाया उस के घर के सामने Share on: