आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे By Sher << डूबने की न तैरने की ख़बर दोस्तों और दुश्मनों में क... >> आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे क्यूँ खिड़कियों से झाँक रही है क़ज़ा मुझे Share on: