आख़िर उस की सूखी लकड़ी एक चिता के काम आई By Sher << न दश्त ओ दर से अलग था न ज... किसे कहें कि रिफ़ाक़त का ... >> आख़िर उस की सूखी लकड़ी एक चिता के काम आई हरे-भरे क़िस्से सुनते थे जिस पीपल के बारे में Share on: