न दश्त ओ दर से अलग था न जंगलों से जुदा By Sher << इश्क़ में ख़ैर था जुनूँ ल... आख़िर उस की सूखी लकड़ी एक... >> न दश्त ओ दर से अलग था न जंगलों से जुदा वो अपने शहर में रहता था फिर भी तन्हा था Share on: