आलम से बे-ख़बर भी हूँ आलम में भी हूँ मैं By Sher << डुबोए देता है ख़ुद-आगही क... बिखरते जिस्म ले कर तुंद त... >> आलम से बे-ख़बर भी हूँ आलम में भी हूँ मैं साक़ी ने इस मक़ाम को आसाँ बना दिया Share on: