आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में By Sher << कौन याद आ गया अज़ाँ के वक... बस अब आप तशरीफ़ ले जाइए >> आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में 'ग़ालिब' सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है Share on: