आवाज़ की दीवार भी चुप-चाप खड़ी थी By Sher << बिस्मिल के तड़पने की अदाओ... ऐसे डरे हुए हैं ज़माने की... >> आवाज़ की दीवार भी चुप-चाप खड़ी थी खिड़की से जो देखा तो गली ऊँघ रही थी Share on: