आया था शब को छुप के वो रश्क-ए-चमन सौ आह By Sher << अहवाल क्या बयाँ मैं करूँ ... आस्तीन-ए-मौज दरिया से जुद... >> आया था शब को छुप के वो रश्क-ए-चमन सो आह फैली ये घर में बू कि मोहल्ला महक गया Share on: