अब क़फ़स और गुलिस्ताँ में कोई फ़र्क़ नहीं By Sher << हम फ़क़ीरों का पैरहन है ध... यहाँ वहाँ हैं कई ख़्वाब ज... >> अब क़फ़स और गुलिस्ताँ में कोई फ़र्क़ नहीं हम को ख़ुशबू की तलब है ये सबा जानती है Share on: