हम फ़क़ीरों का पैरहन है धूप By रात, धूप, Sher << हम किसी सुल्ताँ के ताबे न... अब क़फ़स और गुलिस्ताँ में... >> हम फ़क़ीरों का पैरहन है धूप और ये रात अपनी चादर है Share on: