अब दिल का सफ़ीना क्या उभरे तूफ़ाँ की हवाएँ साकिन हैं By Sher << अब तक न ख़बर थी मुझे उजड़... अब ऐ ख़ुदा इनायत-ए-बेजा स... >> अब दिल का सफ़ीना क्या उभरे तूफ़ाँ की हवाएँ साकिन हैं अब बहर से कश्ती क्या खेले मौजों में कोई गिर्दाब नहीं Share on: