अब जहाँ में बाक़ी है आह से निशाँ अपना By Sher << अब कहाँ गुफ़्तुगू मोहब्बत... अब गर्दिश-ए-दौराँ को ले आ... >> अब जहाँ में बाक़ी है आह से निशाँ अपना उड़ गए धुएँ अपने रह गया धुआँ अपना Share on: