अब गर्दिश-ए-दौराँ को ले आते हैं क़ाबू में By Sher << अब जहाँ में बाक़ी है आह स... आती है याद सुब्ह-ए-मसर्रत... >> अब गर्दिश-ए-दौराँ को ले आते हैं क़ाबू में हम दौर चलाते हैं साक़ी से कहो मय ला Share on: