अब जो इक हसरत-ए-जवानी है By जवानी, बुढ़ापा, Sher << पँख हिला कर शाम गई है इस ... रख लिए रौज़न-ए-ज़िंदाँ पे... >> अब जो इक हसरत-ए-जवानी है उम्र-ए-रफ़्ता की ये निशानी है Share on: