पँख हिला कर शाम गई है इस आँगन से By Sher << देख कर मुझ को तुझे क्यूँ ... अब जो इक हसरत-ए-जवानी है >> पँख हिला कर शाम गई है इस आँगन से अब उतरेगी रात अनोखी यादों वाली Share on: