अब कहे जाओ फ़साने मिरी ग़र्क़ाबी के By Sher << ऐ शाम-ए-ग़म की गहरी ख़मोश... उतर के नीचे कभी मेरे साथ ... >> अब कहे जाओ फ़साने मिरी ग़र्क़ाबी के मौज-ए-तूफ़ाँ को मिरे हक़ में था साहिल होना Share on: