अब समझ लेते हैं मीठे लफ़्ज़ की कड़वाहटें By Sher << बाप बोझ ढोता था क्या जहेज... आप ही की है अदालत आप ही म... >> अब समझ लेते हैं मीठे लफ़्ज़ की कड़वाहटें हो गया है ज़िंदगी का तजरबा थोड़ा बहुत Share on: