बाप बोझ ढोता था क्या जहेज़ दे पाता By Sher << दिन भी डूबा कि नहीं ये मु... अब समझ लेते हैं मीठे लफ़्... >> बाप बोझ ढोता था क्या जहेज़ दे पाता इस लिए वो शहज़ादी आज तक कुँवारी है Share on: