अब तो मुझ को भी नहीं मिलती मिरी कोई ख़बर By Sher << अजब हैरत है अक्सर देखता ह... तुम बहर-ए-मोहब्बत के किना... >> अब तो मुझ को भी नहीं मिलती मिरी कोई ख़बर कितना गुमनाम हुआ हूँ मैं नुमायाँ हो कर Share on: