तुम बहर-ए-मोहब्बत के किनारे पे खड़े थे By Sher << अब तो मुझ को भी नहीं मिलत... थी उस की बंद मुट्ठी में च... >> तुम बहर-ए-मोहब्बत के किनारे पे खड़े थे तुम ने मिरी आँखों में समुंदर नहीं देखा Share on: