अब तो सब का तिरे कूचे ही में मस्कन ठहरा By Sher << बरून-ए-ख़ाक फ़क़त चंद ठेक... 'बानी' ज़रा सँभल ... >> अब तो सब का तिरे कूचे ही में मस्कन ठहरा यही आबाद है दुनिया में ज़मीं थोड़ी सी Share on: