'बानी' ज़रा सँभल के मोहब्बत का मोड़ काट By Sher << अब तो सब का तिरे कूचे ही ... हैं शैख़ ओ बरहमन तस्बीह औ... >> 'बानी' ज़रा सँभल के मोहब्बत का मोड़ काट इक हादसा भी ताक में होगा यहीं कहीं Share on: