अब उसे अपनी शबाहत भी गुज़रती है गिराँ By Sher << सिर्फ़ मेरे लिए नहीं रहना मेरी तन्हाई की पगडंडी पर >> अब उसे अपनी शबाहत भी गुज़रती है गिराँ घर के अंदर कोई शीशा नहीं रहने देता Share on: