मेरी तन्हाई की पगडंडी पर By Sher << अब उसे अपनी शबाहत भी गुज़... सुख की ख़ातिर दुख मत बेच >> मेरी तन्हाई की पगडंडी पर मेरे हम-राह ख़ुदा रहता है Share on: