अब ये आलम है कि ग़म की भी ख़बर होती नहीं By Sher << अब कि जब जानाना तुम को है... तू जो ये जान हथेली पे लिए... >> अब ये आलम है कि ग़म की भी ख़बर होती नहीं अश्क बह जाते हैं लेकिन आँख तर होती नहीं Share on: